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नजरोमे हमने आफताब देखा..

हसते हुये तुमको देखा जभीभी, नजरोमे हमने आफताब देखा,
धीमी महकती लगी चांदनी तब, सरगमका सपना आंखोमे देखा….१

मुस्कान इतनी जन्नतसी देखी, दिदार हमने करही लिया था,
खुले गेसूओ रुखपे बिखरेही थे तब, रुख तो सलोना महक ही रहा था….२

हमे कोई उल्फत नजर आ रही थी, नजर जो हवासी महका रही थी
बहकीसी नजरे अंदाज दिलकश, दिदार ए खवईष हमने करी थी…३

करोना अब कोई नयासा बहाना, जुल्फोको रुखसे तुम ना संभलना,
हजारो, नजरोमे सपने तुम्हारे, इनको कभी यू विदा न करना…..४

महक जो रही है आँखे तुम्हारी, गझल एक नईसी नजर आ रही है,
तरन्नुम है बेहद सुरीली तुम्हारी, सांसोकी सरगम बुला जो रही है…..५

अगर तूम जो फिरसे महकने लगोगी, ख्वाईशे फिरसे जगने लगेगी,
बडा जिद्दी मन है सुनता नही है, बडी कोशीशोसे संभलता नही है.. ६

गर तुमजो इसको बहकाने लगोगी, बडा ना समझ है दामन थमेगा,
फिर ना छुडाना दामन हमीसे, हमे तुमसे मिलकर जन्नत मिळेगा…७

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