Urdu

ख्वाबोंके परिंदे [ स्वप्नातील पक्षी – Birds of Dreams ]

पहाडोंमे सिमटीथी लम्बीसी राहे,

गगनमे निराली गुलाबी हवाए,

लहरते हवामे खुशबुके रेले,

पेडोंके पत्तोकी हसी रंग निराले……..

महकती गगनमे सुनहरी निगाहे,

वही परबतोंकी बर्फीली बाहे,

नदीयोंकी अपनी सुहानिसी बाते,

मनमे लहरता चला मै किनारे………..

छोटीसी पगदंडी उमडती चली थी,

बच्चोकी खुशियां उमड जो रही थी,

शालाके रस्तोपर दौड चल रही थी,

फुलोंकी मुस्कान महकती चली थी………

नीले पीले फुलोंसे वादी सजी थी,

सुनहरी किरणे बरस जो रही थी,

महकती थी वादी रंगीन सारी,

युवतीयोंकी चहक१० महका रही थी……..

पानीकी बुंदे११ सोनेकी खुशबू,

दिलमे तरंगे हंसी के थे नग्मे१२,

चलता मै रहा था पगदंडीयोंपर,

मिलने चला था मानालीकी धडकन……..

पुरानी जो तसबीर१३ तदबीर१४ थी वो,

रूबरू१५ एक बार होने चला था,

धुंधलीसी१६ यांदे मुहब्बतके नग्मे,

सुनहरी तर्जपर१७ सुहाने तराने१८…………

साजोंकी१९ अपनी बडी मस्तीयां भी,

नगमोंकी दिलकश२० बरसात दिलमे,  

न जाने वो ऐसी कैसी घडी थी

गुजरे जमाने अब किस हालमे थी……..

तकदीर अपनी बडी है निराली,

खुशकिस्मत२१ है सारी यादे पुरानी,

बसी है वहीपर दिलकी मनाली,

गया रुबरूहोने वही थी मनाली………  

हवांए भी नादान और खुशीके नजारे२२,

जन्नतसे२३ उभरी२४ हजारो फिजाए२५,

सभी रंग सारे महका रहे थे,

मेरे मनबदनमे२६ लुभा रहे थे……..

न कोई शिकवा२७ गिला२८ ना किसीसे,

जो पाया हंसी था अपनी नजरमे,

थोडसे दिन थे मनालीके दिलकश,

यादोकी बारात और सुरीली हवाए………

नन्नासा घर था, चारो दिशामे,

महकती थी वादी मनकी गगनमे,

वो मिलती थी मजमे२९ नदीके किनारे,

महकती नदीमे सपने सुहाने……..

हंसी थी फुलोंकी जन्नत थी सारी,

महकती थी कलीयां सुहानी निराली,

तितलीयोंकी३० सरगम३१ बडी थी निराली,

हंसी उसकी मुस्कान दिलको लुभाती……..

कितनी सुहानी है यांदे निराली,

समेंटू३२ मै कैसे अपने ए दिलमे,

बडा ही निराला नगमा पुराना,

तरन्नुमका३३ बेहद मुक्कदर३४ हमारा………

बस्तीके सारे घरोंदे३५ वही थे,

पत्तोंके सायेमे चहका रहे थे,

नजरोंसे धुंडता चल मै रहा था,

पथपर उसीके दिलमे समा३६ था…….

अचानक वो मेरे सम्मुख जो आयी,

गुलाबीसी मानो कली खील गयी थी,

बेशक वो लिपटी३७ लिबासोमे३८ सुंदर,

आंखे रुहानी३९ वही तो हंसी थी……..

चेहरेपर मुस्कान किरनोकी लाली,

खिलती थी कलियां फिरभी निराली,

नजरोंका संदल४० कितना हंसी था,

जन्नत तो सारी महका रहा था…….

उठी जो तरंगे बेशुमार४१ दिलमे,

नगमोंकी बारीश उसकी नजरमे,

बहकी४२ थी नजरे और बहाके इशारे४३,

सदियोंका सारी खुशनुमा४४ बहारे…….

राहोंमे मिलनेकी तमन्ना४५ जगी थी,

हलचल नजरमे और हृदयमे आभा थी,

बस बाहोमे उसके मैने खुदीको पाया,

अरमान४६ पलमे उसीमे समाया४७………..

बस उसी एक पलमे हजारों आशाये,

महक जो गयी वो सारी फिजांए,

कैसे बताउ तब क्या हो गया था,

मै रहा ना मै था, न वो रही थी…….

बदन दो अलग थे फिरभी नही थे,

मंझीलपर४८ पहुंची सारी आशाए४९,

सुकुनही५० सुकून था बडा ही निराला,

मानो जमींपर खुदा५१ आ गया था………

कुछ भी कहां ना न मैने न उसने,

लफ्जोंकी५२ कोई जरुरत नही थी,

बस एक फुलमे लिपट जो गया मै,

पुरा आसमांभी थमा५३ मेरे दिलमे……….

धीरेसे उसने हाथोको छुकर,

बयां५४ कर दिया जो छुपाया था दिलमे,

बेजुबां५५ थी सारी मुलाकात ऐसी,

फिरभी कह गयी वो दास्तां५६ हमारी……..


(c) मुकुंद भालेराव
छत्रपती संभाजी नगर
दिनांक: १०-०४-२०२३सुबह: ०८:०७

(०१) सिमटी = लहान झालेली, (०२) खुशबु = सुगंध, (०३) रेले = लाटा,प्रवाह
(०४) महक = सुगन्ध, (०५) निगाहे = दृष्टी, (०६) पगदंडी = कच्ची पायवाट,
(०७) उमडती = ओसंडून वाहणारी, (०८) मुस्कान = स्मित, (०९) वादी = निसर्ग
(१०) चहक = चमक, (११) बुंदे = थेंब, (१२) नगमे = मधुर गीत,
(१३) तसबीर = छायाचित्र, (१४) तदबीर = युक्ती, उपाय,
(१५) रूबरू = प्रत्यक्षभेट, (१६) धुंधलीसी = अस्पष्ट, (१७) तर्जपर = धुन, गाण्याची चाल,
(१८) तराने = गाणे (१९) साज = साथीची वाद्ये, (२०) दिलकश = चित्ताकर्षक,
(२१) खुशकिस्मत = नशीबवान, (२२) नजारे = दृश्य, (२३) जन्नतसे = स्वर्ग, (२४) उभरी = निर्माण झाली,
(२५) फिजाए = वातावरण, (२६) बदन = शरीर, (२७) शिकवा = त्रास,
(२८) गिला = तक्रार (२९) मजमे = भेटण्याचीजागा, (३०) तितलीयां = फुलपाखरे, (३१) सरगम = स्वररचना,
(३२) समेटना = गोळा करून घेणे, (३३) तरन्नुम = संगीतमय, मधुर, (३४) मुक्कदर = नशीब,
(३५) घरोंदे = साधारण घर, (३६) समा = वातावरण, (३७) लिपटी = परिधान केलेले,
(३८) लिबास = कपडे, (३९) रुहानी = स्वर्गीय, (४०) संदल = उत्सव,
(४१) बेशुमार = अमर्याद, (४२) बहकी = वेड लागल्यासारखे, (४३) इशारे = खाणाखुणा,
(४४) खुशनुमा = मनोरम, सुंदर, (४५) तमन्ना = ईच्छा, (४६) अरमान = आकांक्षा, कामना,
(४७) समाया = साठलेला, (४८) मंझील = ध्येय, लक्ष, (४९) आशाये = आशा,
(५०) सुकून=सुख,शांती, (५१) खुदा=परमेश्वर, (५२) लफ्ज =शब्द,
(५३) थमाना = धरून ठेवणे (५४) बयां = वर्णन करणे (५५) बेजुंबा = शब्दरहित, (५६) दास्तां = घटना, गोष्ट

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