आज पहुचा हु वहां
जो कभी सोचा न था,
लगा था मुझे
कर लिया बहुत है,
हाय मगर,
वो हकीकत न थी…………..
बहुत पढ लिया मैने,
सोचा था अब दिक्कत
नही जिंदगीमे,
कितना झूठ सपना था वो………
अकलसे दुनियादारी
नही चलती यारो,
यहाँ हर चीजकी किमत है,
चाहो या ना चाहो…………
किमत है मतलब,
जेबमे पैसे जरुरी है,
तो बात मानी जायेगी,
वरना धुधकार दिये जाओगे……..
कोई न सोचेगा कि,
तुम्हारे पास कितना ज्ञान है,
समझ है, या तजरुबा,
क्योंकी ए दुनिया
पैसोपर चलती है, मूरख………
और तो और यह बात,
कोई नई नही है, समझो तुम,
महाभारतमे पितामह भिष्मने
युधिष्टिरसे युद्धके पहलेही
कह दिया था…………..
‘हे राजन, मनुष्य अर्थका दास है’,
हम भी तो ईसीलीये
यह जानते हुये भी की,
हम अधर्मका साथ निभा रहे है,
दुर्भाग्यवश, तुम्हारे और धर्मके
विरुद्ध लढ रहे है……….
इसलिये यह कहना की
पैसोकी कोई किमत नही,
तब भी सच नही था
द्वापारयुगमे,
और आजभी
कलीयुगमे,
अर्थस्य पुरुषो दास: !……
© मुकुंद भालेराव
पोंडा – गोवा
दिनांक: ६ नवम्बर २०२३
समय: रात: २३:५६