भलेही पहचान हो न हो किसीसे,
फरक क्या पडता है गर तुम मिलोगे,
किसीको थोडेसे पल तुम जो दोगे,
हंसी और खुशिके दो पल सदा……..
रास्तेमे कोई मिलता अगर है,
बढा दो हाथ थामलो हाथको,
दे दो थोडीसी हंसी और ख़ुशी भी,
कुछ पल अपने दे दो उसे……….
कोई किसीको मिलता नही बेवजह,
पिछले जनमका रिश्ता जरूर है,
जान लो तुम हम मुसाफिर यहां है,
तकदीर ने दिया जो थोडा बांट दो…..
करम जो हमारे हम साथ लाए,
बुरे या भले हो अपने तो है,
रोना किस लिए है किस्मत हमारी,
ख़ुशी बाटते चलो यही जिंदगी है……….
भले कूछ पलोंकी खुशियां बटोरो,
उसे धन की कोई जरुरत नही,
खोल दो दिलकी गिरहको तुम भी,
बता दो सभीको ख़ुशी है यही………..
आनंद हर जगह हर पलमे मुमकिन,
बस खुशिको धुंड लो उसे तुम यहां,
मुश्कील नही है तदबीर कोई,
जिगरमे भर लो ख़ुशी तुम यहां………
पलके झपक लो हंसी बाट लो,
न किसीसे पहचान है फिर भी यहां,
मिलाओ गलेंसे दिलसे सदा तुम,
बरसात होगी फिर ख़ुशीकी यहां………
जन्नत यही है और अमृत यहां,
जो कुछ भी है हंसी है यहां,
हटा दो ए सारे गमोंके पर्दे,
जियो जानसे है सब कुछ यहां………..
भगवान-अल्ला-रब जो भी है,
कोई नही आसमामें वहां,
इन्सान ही है खुदा आसमांका,
जिगरमे है बसेरा गर प्यार का……..
गर तू बनेगा फरिश्ता खुशीका,
पैगाम-ए-मुहब्बत ऐसी जुंबा,
जन्नत यही पर हर बात होगी,
खुशियोंके डेरे बसेगे यहां………..
© मुकुंद भालेराव
छत्रपती संभाजी नगर
दिनांक: २६ एप्रिल २०२४
समय: दोपहर १२ बजे