चुनरी भी लाल हरी,
चुडीयां भी हरी हरी,
रंग हरी लाल भयो,
भर गयो लाल हरी………
सपनोमें हरी हरी,
जागृतीमी भरा हरी,
सुषुप्तीमे सदा भरा,
हरी हरी हरी हरी………..
नाम हरी भरा हृदय,
अनुरेणू हरी भरा,
पलविपल निशिदिनी,
लाल हरी मन भरा…………
जन्म हो सफल हरी,
कुछ और नही अब तृषा,
भाव सदा हरी हृदय,
प्रिय सखा हरी सदा……….
© मुकुंद भालेराव
पोंडा – गोवा
दिनांक: ६ एप्रिल २०२४
समय: सुभ: १२:०० – १२:१०