सरकार म्हणे आरोग्य | तुमचीच जबाबदारी | शासनाची जबाबदारी | मुळीच नसे || १ ||
कचरारहीत परिसर | तुमचीच जबाबदारी | शासनाची जबाबदारी | शून्य असे || २ ||
कर सगळे भरणे | तुमचीच जबाबदारी | शासनाची जबाबदारी | काहीच नसे || ३ ||
मतदान न विसरता | करा अवघे जन | पुढार्यांचे दायित्व | नसे काही || ४ ||
करोनाची लस | देइ केंद्र सरकार | राज्याचा हक्क | रडण्याचा || ५ ||
पाणी नाही रस्ते | भ्रष्टाचार विपूल | उदंड झाले धनगट | आप्त सारे || ६ ||
तुम्ही सारे जण | पाळा मात्र नियम | बरळती ते सारे | कारागृही || ७ ||
कायदेकारी दिग्गज | जेवढे बुद्धीमंत | करून गेले कार्य | कारागृही || ८ ||
दुर्जनांचा नि:पात | करणे ज्यांचे कर्म | किती दुष्कर्मात | रुतले ते || ९ ||
आता कलीयुगी | किती तर्हा यांच्या | युक्त्याप्रयुक्त्या | योजीती ते || १० ||
कुकर्मांनी त्यांच्या | व्यापले आसमंत | मार्ग त्यांना काही | सापडेना ||११ ||
किती लढविल्या त्यांनी | भन्नाट कल्पना | तरीही कारागृह | नशीबी असे || १२ ||
त्यांचे हितचिंतक | फोडती मग टाहो | म्हणती न्यायालये | भ्रष्ट झाली || १३ ||
करुनी अवमान | न्यायव्यवस्थेचा | झाले पतीत | दुराभिमानी || १४ ||
धनाच्या नशेत | सत्तेत लोळता | नेत्र तिसरा ऐसा | उघडला || १५ ||
कुणी करता प्रार्थना | अंजनीसुताची | भयभीत जाहले | मनोमनी || १६ ||
भक्तिचा तो धावा | घाली साद रामा | बापुही म्हणती | ‘हे राम !’ || १७ ||
सत्तेचे गुलाम | तत्वे पायातळी | नितीची ती चाड | कुणा नसे || १८ ||
राष्ट्र म्हणजे यांना | वाटे हक्क आपला | करिता आवाहन | कारागृही || १९ ||
विचारता न्यायालयी | द्रोह कैसा जाहला | म्हणती रामनामे | मते जाती || २० ||
निधर्मी म्हणे | असे राज्यव्यवस्था | धर्माचे गान | कसे बरे? || २१ ||
शिवबा थोर होते | असे मान्य आम्हा | परंतु काळ आता | निराळा असे || २२ ||
शरदाचे चांदणे | असे किती छान | सोनियाचे लाभले | भाग्य आम्हा || २३ ||
वरदान असे आम्हा | वृत्रा परीसे | देवेन्द्र ही काही | करू न शके || २४ ||
दधिची कलीयूगे | होणार नाही | निरंकुश सत्ता | भोगू आम्ही || २५ ||
साधुंचे रक्षण | हरीचे वचन | न होइ निरर्थक | सांगा त्यांना || २६ ||
कंसाने केल्या | किती भ्रूण हत्या | परी अंती आला | नारायण || २७ ||
क्षमता मेंदूची | झाली असे विफल | काही सारासार | विवेक ना || २८ ||
साकडे आता | असे विश्वरुपा | ये रे बाबा आता | सत्वरी || २९ ||
नाही आता येशी | सत्वर रामराया | वाढती दशानन | अपरिमित || ३०||
तूझे तू ठरव | भक्ताच्या सख्या | एरवी तुझे भक्त | होती स्वर्गवासी || ३१ ||
आली वेळ आता | नि:पात करण्याची | चक्र सुदर्शन | धरी आता || ३२ ||
एवढेच मागणे | होते रामराया | लाभो सदबुद्धी | सर्व जना || ३३ ||
थांबवितो आता | इथे रामायण | अन्यथा तिष्ठतो | वातात्मज || ३४ ||
पुसतसे आज्ञा | दक्षिणेस जाणेची | करण्या दहन लंका | रावणाची || ३५ ||
विचारता त्यांसी | केली तू दहन | लंका त्रेतायुगी | पुनश्च कां ? || ३६ ||
म्हणे पुन्हा पुन्हा | वंश असुरांचे | जन्मती भोगण्यासी | पापराशी || ३७ ||
कोसळेल जेंव्हा | वज्र देवेंद्राचे | घालतील लोटांगण | पायावरी || ३८ ||
म्हणतील तेधवा | क्षम्यताम् क्षम्यताम् | दूत रामाचा | सत्य म्हणे || ३९ ||
| मुकुंद भालेराव |
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