सिफर१ बन गया हू
इसलिये मै खुश हू,
अब न कोई चाहत है
अब बन गया हु
आजाद२ मै………….
न गुस्सा किसीसे
न कशिश३ न कोई,
न ख्वाईश४ बची है
पाना न कुछ भी……….
ना बैर अब किसीसे
बद-जनी५ ना किसीसे,
रफ्तार अंदामकी६
आहिस्ता७ तवक्कुफ८……..
अब जरुरत ही क्या
इबादत-गह९ जानेकी,
खुदाकी इबादत१० तो
अपनेही अंदर………..
मजहबी११ सारी
पढ ली किताबें,
समझनेको दानिश१२
आत्मा जमीर१३ भी………
धुंड आया सभी मै
सप्तलोक पातालमे,
सबकुछ मिला मुझको
जेहन१४ और जमीरमे१५………
राशिद१६और जावेद१७
आजाद है खुबसुरत,
पाया वुजूद१८ रब१९ का
रोशनी आसमानी
खुदके अंदर………
© मुकुंद भालेराव
छत्रपती संभाजी नगर
तारीख: २१ एप्रील २०२४
वक्त: शाम १७:२०
दुश्वार लब्जोंका मतलब:
1 = Zero
2 = Free
3 = Attachment
4 = Desire
5 = Envy
6 = Body
7 = Slowly
8 = Sense Organs
9 = Temple
10= Worship
11 = Religious
12 = Knowledge
13 = Soul, Mind, Heart
14 = Ability to think
15 = Soul, Mind, Heart
16 = Pious
17 = Eternal
18 = Existence
19 = God
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