My Poems Urdu

सिफर

सिफरबन गया हू
इसलिये मै खुश हू,
अब न कोई चाहत है
अब बन गया हु
आजाद मै………….

न गुस्सा किसीसे
न कशिश न कोई,
न ख्वाईश बची है
पाना न कुछ भी……….

ना बैर अब किसीसे
बद-जनी ना किसीसे,
रफ्तार अंदामकी
आहिस्ता तवक्कुफ……..

अब जरुरत ही क्या
इबादत-गह जानेकी,
खुदाकी इबादत१० तो
अपनेही अंदर………..

मजहबी११ सारी
पढ ली किताबें,
समझनेको दानिश१२
आत्मा जमीर१३ भी………

धुंड आया सभी मै
सप्तलोक पातालमे,
सबकुछ मिला मुझको
जेहन१४ और जमीरमे१५………

राशिद१६और जावेद१७
आजाद है खुबसुरत,
पाया वुजूद१८ रब१९ का
रोशनी आसमानी
खुदके अंदर………


© मुकुंद भालेराव
छत्रपती संभाजी नगर
तारीख: २१ एप्रील २०२४
वक्त: शाम १७:२०


दुश्वार लब्जोंका मतलब:
1 = Zero   2 = Free   3 = Attachment   4 = Desire   5 = Envy  
6 = Body   7 = Slowly   8 = Sense Organs   9 = Temple   10= Worship
11 = Religious   12 = Knowledge   13 = Soul, Mind, Heart   14 = Ability to think  
15 = Soul, Mind, Heart   16 = Pious   17 = Eternal   18 = Existence   19 = God  


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