कई दिन भीत गये… सुरजकी रोशनी नसीब नही हुई, चमकते जुगनुभी, रातमे न आए……… बरीशकी फटकारने, तोहमत तो लायी है, फसलोकी ताबाहीको, साथ ले आई है…….. बेवक्त ए तमाशा, हो ही क्यो रहा है, पिनेको पानी भी, कही नही मिल रहा है………. दुनियाके कोई कोनेमे, बाढकी कयामत आई है और कोई जगहमे तो भुखा पडा […]
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इरादों का संदल
उस नुकीले पहाडके अंतपर, वह झांक रही थी नीचे किसीके इन्तेजारमे……….. सुरज की रोशनीसे सारी वादी, चमक रही थी खुबसुरतसी………….. पंछीयोंकी चहचहाट सूनकर, उसमे खुशी उमड रही थी, काले घने बादलोंसे बेझीझक, पानीकी बुंदे उसे नहला रही थी…….. डरावनेसे खयालोंसे घबरा गई दिलमे, आशंका की गहरी लहरे उभर रही थी उसके जहनमे…………… वादा तो दिलवर […]
काश ! आबा ! हवामे, तैरना मुझे आता,
आंखे निंदसे बोझल थी, सपानोकी बारात जोरोंमे थी, कि अचानक याद आ गयी, अभिरामकी धुंधलिसी छवि छा गयी | सागरके किनारोंपर, रेतोंके पहाडोंपर, छोटीसी पगदंडीपर, नाचता वो चला था, आसमांके तारोंको, बुलाता वो चला था, पौधोंके पत्तोंको, सहालाते वो चला था, पंछीकी आहटको, सुनता वो चला था, लहारोंकी रोशनीको, देखता वो चला था | अब […]
राष्ट्रचिंतन – राष्ट्रप्रथम
काला तमका अंधियारा अब, दशोदिशामे छाया है राष्ट्र सुरक्षित करने हेतू, राष्ट प्रथम यह नारा है || १ || संविधानकी गरिमाकोभी, कलंकित क्यो करते है | अपने निजी स्वार्थभावसे, देश विभाजन करते है || २ || अंतस्थलसे द्वेष भावसे, इनकी सारी गतीविधियाँ | देश तोडने दुष्टभावसे, इनका है व्यवहार सदा || ३ || इनको कोई […]
राष्ट्रचिंतन – राष्ट्र प्रथम
काला तमका अंधियारा ए, दशोदिशामे छाया है, राष्ट्र सुरक्षित करणे हेतू, राष्ट्र प्रथम यह नारा है.. संविधानकी गरिमाकोभी, कलंकीत ए क्यो करते है, अपने निजी स्वार्थ भावसे, क्यो देश विभाजन करते है.. अंतस्थलसे द्वेषभावसे, इनकी सारी गतिविधीयां, देश तोडने दुष्ट भावसे, इनका है व्यवहार सदा.. न इनको कोई भय लगता है, असत्य सारा कहते है, […]
अर्जुनस्य विषाद किं
युद्ध न करना है मुझको, हरी ! राज्यकी भी चाह नही, नही चाहीए धनरत्नोकी, वैभवकी भी आह नाही……. ||१|| गुरुपीतासम सदृश सारे, इनसे पाया ज्ञान सदा, पाला जिनके हातोने है, वंदन करता मन मेरा…. ||२|| नही चाहीए वों गरिमाभी, जिसके कारण सिंदूर मिटे, सुवर्णमाला राजलक्ष्मी, जिससे चुडीयां फुट पडे…. ||३|| कितनी सिसंकीं घरोघरोमें, विधवांओंका रुदन […]
मक्केकी रोटी Pizza और कढी
Smoke has blackened, roads are blocked, invisible everything, ears are locked… विनाकारण रस्त्यावर, बसले संसार मांडून, खोटे खोटे रडून, नुकसान सांगतात ओरडून… सिर्फ कुछ प्रांतोमेही, क्या अकाल पडा है, बरसात नही हुई, और महामारी आई है… Predators flocked, to challenge democracy, Some are also there, hatching conspiracy… महागड्या गाड्या यांच्या, शामियाने सजवले, बदामाचे दूध पिऊन, […]
उम्मीदोके ख्वाबोके रंगिन गुब्बारे
लोग कहते है जिंदगी ठहरसी गयी है, बारीषकी बुंदे अटकसी गयी है, परिंदोकी चहक रुकसी गयी है, चारो तरफ चुप्पी फैलसी गयी है…….. . दिलोमे दरिया मचल तो रहा है, दिमागोमे तूफान थमसा गया है, हवाओमे सर्दसी बिखरी हुई है, पत्तोकी हलचल अजीब हो रही है……… बातोमे करकश कही भी नही है, बातोमे फिरभी महक […]