भलेही पहचान हो न हो किसीसे, फरक क्या पडता है गर तुम मिलोगे, किसीको थोडेसे पल तुम जो दोगे, हंसी और खुशिके दो पल सदा…….. रास्तेमे कोई मिलता अगर है, बढा दो हाथ थामलो हाथको, दे दो थोडीसी हंसी और ख़ुशी भी, कुछ पल अपने दे दो उसे………. कोई किसीको मिलता नही बेवजह, पिछले जनमका […]
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सफेद-पोश सियासत
अंधेरा घना हो चला हर तरफ है, सुरजकी रोशनी तितर बितर हो रही है, घने बादलोंकी बडी भारी भीड है न आशा न कोई और उम्मीद नही है………… माहोल सारा घना हर तरफ अंधियारा, मजहबके नाम पर ऐय्याशियां है, सियासतकी सब तरह करते है फरोशी१ न काम करना कोई यहां चाहता है……….. सब चाहते है […]
सिफर
सिफर१ बन गया हू इसलिये मै खुश हू, अब न कोई चाहत है अब बन गया हु आजाद२ मै…………. न गुस्सा किसीसे न कशिश३ न कोई, न ख्वाईश४ बची है पाना न कुछ भी………. ना बैर अब किसीसे बद-जनी५ ना किसीसे, रफ्तार अंदामकी६ आहिस्ता७ तवक्कुफ८…….. अब जरुरत ही क्या इबादत-गह९ जानेकी, खुदाकी इबादत१० तो अपनेही […]
कादिर-ए-मुतलक
बे-खबर१ मनमे सदा डरका माहोल होता है, डरावना युद्ध हरदम करनेका खयाल होता है………. नामुमकीन ख्वाइंशे२ ऐसी और बदतमीज मोहब्बते, ताकदवार सभी है वो डर लगता है उन सबका…….. नंगानाच चले वहां समाज धुधकारता जिसे, मुहब्बत है वहां पर उससे जो ख्वाईशे मुमकिन नही…….. खुदगरज चाहतोंका वहां बोलबाला हरपल वहां, बेशरम तजरुबोंकी सल्तनत३ है वहां……… […]
जीने का सामान बचा नही……
जीनेकी तमन्ना१ बहुत है ख्वाइशे२ बेशुमार३ है, ख्वाबोसे भरे है अरमान४ लेकीन जीने का सामान५ नही है……. बहुत पढाई मुकम्मल६ की, बन गया फाजिल-ए-अजल७ मगर हाय ! क्या करू उस फाजिलाका८ जीने का तो सामानही नही है…… ढेर सारी मुहज्जब–जुबान९ ए’-जाज-नुमाई१० मिल गये, सारे लब्जोन्के साहुकार११, मगर जीने का सामान नही है….. क्या करू उस […]
इश्क है इबादत
कौन कहता है कि उम्र अब ढल गई रोशनी तेरे चेहरेपर अभी वैसेही बरकरार है……….. हां यह सच है की कई साल बीत गये मगर क्या फर्क पडता है उससे जानम नजदीकीयां तो वैसेही है…….. बाते कम हुई होगी मिन्नते कम हुई होगी फिरभी सच तो यही है कि मोहब्बत बेहिसाब है………… अब देखनेसेही कई […]
बहारोंकी मलिका
रेशमी लिबासमे१ सजके वो चली थी, मानो गुलशनकी२ सारी कलीयां खिली थी, हाथोके कंगनमे मोतीकी चमक थी, गलेमे हिरोकी मालाकी महक३ थी…….. चेहरेका रंग बहुतही मासूम४ था, आखोका नजारा बहुतही हसीन५ था, बिखरे हुए बालोको सहला६ रही थी, मानो जन्नतसे७ कोई परि उतर आयी थी…….. पैरोंके पाजेब८ की गुंज भी मधुर थी, तितलीयोंकी चहक मनको […]
ख्वाबोंके परिंदे [ स्वप्नातील पक्षी – Birds of Dreams ]
पहाडोंमे सिमटी१ थी लम्बीसी राहे, गगनमे निराली गुलाबी हवाए, लहरते हवामे खुशबुके२ रेले३, पेडोंके पत्तोकी हसी रंग निराले…….. महकती४ गगनमे सुनहरी निगाहे५, वही परबतोंकी बर्फीली बाहे, नदीयोंकी अपनी सुहानिसी बाते, मनमे लहरता चला मै किनारे……….. छोटीसी पगदंडी६ उमडती७ चली थी, बच्चोकी खुशियां उमड जो रही थी, शालाके रस्तोपर दौड चल रही थी, फुलोंकी मुस्कान८ महकती […]
बन जाएगा सिफर तू
हररोज कि तरहा, उस सुबह भी बापुकी समाधीपर, दो अश्क१ फिर गिरे……… सुरजके आनेसे पहले, फुलोंकी मालाये, वैसेही सजायी गयी, रंगबिरंगोकी आभा, समाधीपर छा गायी…….. वैसे तो हर दिनकी तरहा, बहोत सारे लोग आए, बिना कोई लब्जके२, सरको झुका गए……… आजभी एक शख्स3 आया, आंखोमे नमी थी, चेहरेपर उदासी थी, माथेपर शिकन४ थी………… कुछ तो […]
अर्शमे बादलोङ्की बडीभारी भीड है…….
अर्शमे बादलोङ्की बडीभारी भीड है, फर्शपर नदीयोंकी बडीभारी धूम है आसमानमे तारोङ्की कोईभी गुंजाईश नही, हवामे फुलोङ्की दूरदूर तक कोई महक नही…………….. ईर्दगीर्द कहीभी सुकूनही तो नही है, खयालोङ्मे सारोङ्के डरकी आंधी है, सियासतमे सारोङ्की बडीभारी होड है, फिरभी आजादीका बडा यहाँ जश्न है……………. पचहत्तर सालोंका कोईभी हिसाब नही है, शहीदोंके समाधीपर ना दिया है […]
उर्दू जबान है ईश्वर खुदा है
बडी मुद्दतोसे बदली है दुनिया, मानो की सारी सो जो गयी है | सिमटी हुईसी मकानोमे बंद है, कही कुछ नही है, सारा यही है | न जाना न आना बस घरमे बसेरा, अपनी तो सारी दुनिया यही है | ऐसेमे मनमे खयालो की बारीश, रंगी नजारे बेहद हंसी है | न जंगल यहा है, […]
नजरोमे हमने आफताब देखा..
हसते हुये तुमको देखा जभीभी, नजरोमे हमने आफताब देखा, धीमी महकती लगी चांदनी तब, सरगमका सपना आंखोमे देखा….१ मुस्कान इतनी जन्नतसी देखी, दिदार हमने करही लिया था, खुले गेसूओ रुखपे बिखरेही थे तब, रुख तो सलोना महक ही रहा था….२ हमे कोई उल्फत नजर आ रही थी, नजर जो हवासी महका रही थी बहकीसी नजरे […]