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राष्ट्र प्रथम !

स्वर्गारोहन कर गये
माहीर थे दुनियामे,
महान पराक्रमी शूरवीर थे
अपने अपने कालोमे….

अतुलनीय योद्धा थे
बुद्धिमान और विचारवंत थे
कलामे जो माहीर थे,
संगीत विश्वके तारे थे,
खेलकुदके बादशाह थे,
विज्ञान जगतके सितारे थे,
धर्मपंथके प्रवर्तक थे,
समाजके मार्गदर्शक थे……

बडे हो या चाहेछोटे,
छोड गये अपनी छविको,
वसुन्धराके स्मृतीपटलपटर,
चाहे वे राम हो या कृष्ण,
शंकराचार्य हो या पितामह,
चाणाक्य हो या पातंजली,
विश्वामित्र या होवसिष्ठ…..

अर्जुन हो या कर्ण महारथी,
राणा प्रताप हो या शिवाजी,
कणाद हो या गौतम हो
या वेदोन्के रचयिता सभी……
उपनिषदोन्के सभी प्रवक्ता
अरण्यकोंको लिखनेवाले,
व्याकरण हो या नाट्यशास्त्रभी,
संगीतवेद या धनुर्वेदभी……

अनगिनत है और अनजानभी
कितने सारे महातपस्वी,
ऋग्वेदोके उद्गाता हो,
या याजुर्वेद्के सभी महर्षि.
सामवेदके गायक हो या
अथर्ववेदके महापुरुष हो,
इतिहासोंके पृष्ठपृष्ठपर,
बिखरे ऐसे कई नाम है,
भारतभूके चरणोपर वे
समर्पित जो हो गये………

समय आ गया अभी
करने पूर्ण वचनको,
शतवर्ष पूर्ण हो रहे
भारतके स्वांतत्र्यको………

क्या कर रहे है हम,
बस यह एकही प्रश्न है,
करलो अपने हृदयसे,
विचार आज स्वयंके अंतरसे,
आजही तुम करलो…….

दायित्व हमे लेना है,
आज ही दिन है महान,
बस यही पल है अतिमहान,
सोचलो और समझलो तुम,
निश्चय आजही करना है……..

अभी इस क्षणको
पवित्र हमे बनाना है,
समर्पणका प्रन जो हमे
आजही हमको करना है……..

अपना तन-मन-धन सभी
समर्पित जो करना है,
बस सुनिश्चित हमे करना है|


© मुकुंद भालेराव
छत्रपती संभाजी नगर / १५ आगष्ट २०२३ / सुबह: ०८:०३

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